फिलिप्स और सेव द चिल्ड्रन ने भारत में निमोनिया को खत्म करने के लिए हाथ मिलाया

फिलिप्स और सेव द चिल्ड्रन ने भारत में निमोनिया को खत्म करने के लिए हाथ मिलाया

सेहतराग टीम

फिलिप्स इंडिया-फिलिप्स फाउंडेशन ( रॉयल फिलिप्स का सोशल एक्टिविटी प्लेटफॉर्म ) और सेव द चिल्ड्रन इंडिया ने बच्चों में निमोनिया के रोकथाम, निदान और मैनेजमेंट के लिए इनोवेटिव अप्रोच को विकसित करने के लिए एक साथ आये हैं। नई राष्ट्रीय निमोनिया गाइडलाइन को लागू कर भारत के अनुरूप Integrated Action Plan for Pneumonia and Diarrhoea (IAPPD) योजना बनाई जाएगी और दस साल के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) और पांच साल के निमोनिया और डायरिया के लिए ग्लोबल एक्शन प्लान के साथ निमोनिया से प्रति 1000 हज़ार बच्चों के जन्म पर 3 बच्चों की मौत को कम करने का लक्ष्य रखा गया है।

राजस्थान के 45 शहरी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के दो ग्रामीण ब्लॉक हैं। जो कि निमोनिया से बुरी तरह प्रभावित हैं। उन्हें दो साल के प्रोजेक्ट 'प्रोजेक्ट विश्वास (बर्थ विश्वास) द्वारा 90000 हज़ार बच्चों को निमोनिया की विशेष देखभाल की जाएगी।

  • एम-हैल्थ- मोबाइल एप टेक्नोलॉजी एप के द्वारा लोगों को निमोनिया की बीमारी के बारे में जागरूक किया जायेगा।
  • पॉइंट केयर डायग्नोस्टिक टूल- इसके टूल से हैल्थ वर्कर्स पहले ही बच्चों में निमोनिया की जांच करगें ताकि प्रभावित बच्चों की जल्दी पहचान हो सके जिससे तुरंत अस्पताल में इलाज मुहैया कराया जा सके।
  • इस कार्य के लिए  हैल्थ वर्कर्स, आशा और एएनएम को प्रशिक्षण दिया जायेगा।
  • निमोनिया से निपने के लिए सरकार द्वारा संसाधन बढ़ाए जाएगें।

इस मौके पर उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, फिलिप्स इंडियन डैनियल मेजन ने कहा कि फिलिप्स एक हैल्थ टेक्नोलॉजी कंपनी है जिसका मुख्य लक्ष्य लोगों को बेहतर बनाना है। हम सेव द चिल्ड्रन के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर काम करके 5 साल के बच्चों में निमोनिया की बीमारी के मामलों को कम कर देगें।

सेव द चिल्ड्रन इंडिया के सीईओ बिदिशा पिल्लई ने कहा कि मैं इस पार्टनरशिप से बहुत खुश हूं, हमे बच्चों को बचाने का एक अच्छा मौका मिला है। अब से कोई बच्चा 5 साल के पहले निमोनिया जैसी बीमारी से नहीं मरेगा। मुझे आशा है कि हमारा यह मॉडल लोगों को प्रेरित करेगा।

 

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